बहुत हुआ भारत निर्माण , कर लो अब थोडा आराम ।
मोदी का ना नाम लो , इतना हमपे छोड़ दो |
कितने हैं हमारे दावेदार कैसे समझोगे तुम यार ।
उम्र बीती है तुम्हारी देख देख एक ही परिवार ॥
नव वर्षों तक ना काम किया , फिर कैसे निर्माण किया ?
निर्लज्ता को छोड़ दो , राज धर्म पे ज़ोर दो ।
विस्फोट पे विस्फोट ,घोटाले पे घोटाले ,
नक्सलियों ने ना जाने कितने घर में मातम कर डाले
पूँजी निकली देश से और दुश्मनों ने हैं डेरे डाले ।
बढती अर्थवयवस्था पे अब लग गए मंदी के ताले ॥
दाल में काला या काली दाल
कौया चले यहाँ हंस की चाल
जिनने लूटा देश को वही तय करें संसद की चाल ,
गरीब का क्या होगा भला यहाँ पे , सरकार हो रही है
मालामाल
मची है होड़ लूटने की और कहतें हैं की हो रहा है भारत
निर्माण ॥
आतंकी बने इस देश में बहस का मुद्दा ,
जनता का कैसे होगा भला ,
खाली राजकोष और खाली तुम्हारा शब्दकोष ,
गुंडे बन गए हैं इस देश के बादशाह
ना विवेक ना वाणी , अपनी ही सरकार मे किसी ने तुम्हारी
ना मानी ।
ना क्रिया ना प्रतिक्रिया , मौन व्रत तुमने लिया
इतना सब कुछ बीत गया पर मोहन तुम कुछ ना बोले ,
अब भी अपना मुख ना खोले ,
मोहन अब कुछ बोल दो , मौन वर्त को तोड़ दो ॥
शंखनाद अब हो गया है ,जनता सन्देश सुनती है ,
राजशाही अब ख़तम करो ,जनता आदेश सुनाती है ॥
वक़्त बदलने वाला है अब चाल बदलने वाली है ,
मेरी मानो ए मतवालों ये देश बदलने वाला है ॥
दुर्जन अब ना गर्जायेंगे ,युवायों से घबराएंगे ।
सबने हिम्मत कर ली है , हम सबका ये नारा है ,
हर सांस लहू की हर बूँद ने दिया इंक़लाब का नारा है ॥
फिर से खेती लहराएगी , उम्मीदें फिर जग जायेंगी ,
देश की दशा फिर से shinning हो जाएँगी
थोडा वक़्त अब और है , थोडा सब्र अब और है
उम्मीदों के भारत में बस अब थोड़ी सी ही देर है ॥
Good One :)
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