रात के अँधेरे में जब पीछे छुटे सारे गम !
मैं इन लम्हों में याद सभी को करता हूँ
कैसे कैसे जीवन बीता , आओ तुम्हे मैं बतलाता हूँ ।
इतने लम्हे बीत गए हैं पर लगता है अब और कल ।
सबके चेहरे याद मुझे हैं जैसे देखा हो इस पल ।
सुना है बस उस पल जीवन खुद को दोहराता है ।
जिन के साथ हो वक़्त बीता उनको उनको दिखलाता है ।
हमने सोचा ना जाने तब कितना हमको वक़्त मिले ।
थोडा थोडा अब ही मैं सबसे यूँ ही मिल आता हूँ ।
याद सभी को मैं कर लूँ ।
वक़्त अभी से दोहराता हूँ ।
बीता है जो कल बाधाएं थी उसमें हर पल ।
बाधाओं का सीना तोडा , सीमाओं को पीछे छोड़ा ।
मेरा जीवन जैसे दर्पण , तुमने भी इसमें कल देखा ।
कुछ भी ना मैं अदभुत मैं ना बोला , सबने है ये पल देखा ।
जीवन भी है अजब पहेली ।
इसमें हर पल उथल पुथल ,भीड़ में भी मैं अकेला और अकेले में चहल पहल ।
जितने इसमें सन्नाटे हैं और जितनी हैं ख़ामोशी ,
उतनी ही आशाएँ हैं और भरी हैं हँसी ठिठोली ॥
यादों मैं हैं जब हम चलते , क्या हैं हम कहीं पहुँचते ?
वक़्त के फासले , कैसी ये दूरियाँ , क्या करती हैं कम यादें ये मजबूरियां
यादों की इस दुनिया में जितना देखा था ,
अब उससे जयादा दिखा ।
इतना वक़्त बीत गया था फिर भी कुछ ऐसा लगा ।
हाँ तुमको भी और तुमको भी सबको मैंने देखा है ।
पर जैसे मैंने तुमको देखा ,
क्या तुमने मुझको देखा है ॥
भोर हुई तो रेलम पेल ,
गाड़ियों में भरा है तेल ।
मेरी मानो कम ही तानो , थोडा सा सब वक़्त निकालो ।
ना जाने हमको उस पल , कितने बचे हो पल ।
तुम भी सब से मिल आओ , थोडा थोडा दोहराओ ॥
ना रचेता ना कवि , मुझको तो है गति प्रिय ।
लेकिन फिर भी थोडा थोडा सबको अब मैं जतलाता हूँ ।
कितना हमको वक़्त मिले , मैं अपना जीवन दोहराता हूँ ।