देश ने नई राह पकड़ी है । लाचारी और दुर्दशा में भारत माँ जकड़ी है ।
पहेले हमसे रोटी छीनी , फ़िर जीवन का सुख और चैन बहेनो की इज्ज़त लुटी और नवजातों पे हुआ आघात ।
दुश्मन देशों ने डेरा है डाला और आतंकियों ने छोड़े गोले ।
हर तरफ जलजला ही जलजला है पर मनमोहन मुहँ मे दही जमाए खड़ा है ।
विदशी महिला बोले हाँ तो हाँ बोले ना तो ना ।
क़िस मिट्टी का ये बंदा बना है ????
द्रौपदी के समान भारत माँ ध्रितराष्ट्र के सामने खड़ी है ।
पर सरकार मदद कैसे करे वो secular और communal के द्वंद में पड़ी है ।
जनतंत्र के हर स्तम्भ को हिला डाला है ।
JPC ,CVC या CBI सबको सरकार का पालतु बना डाला है ।
घोटालों में डूबा ये देश और नाम रखा है इंदिरा प्रदेश
अर्थशास्त्री ने जुगत लड़ाई , देश की इसने band बजाई ।
हर बात मे मासुम है ये , ना बोले है ना सुने है ये ।
देश को मूर्ख बना डाला है और अब तीसरी पारी में फ़िर से आने का इसका ख़याला हैं ।
बदलाव के नाम पे ये राजकुमार लाए हैं ।
पहेले पर दादा , दादी , पापा , मम्मी और अब मुन्ना ने हमको चुग्गा डाला है ।
फिर से लाओ , फिर से लाओ , सौ ढेड सौ साल और खिलाओ ।
इतना लूटो की अंग्रेज़ भी शर्म शार हो जाएँ ।
जनता को करो confuse , मीडिया में डालो fake न्यूज़ ।
कैसे भी कर के आना है , अभी तो इस देश का और band बजाना है ।
तब तक लूटेंगे जब तक जनता सोयेगी ..अपने दिये हुए उस एक वोट के लिए दशकों तक रोएगी ।
हर पीढ़ी से लेंगे लगान तभी तो हम बनेंगे परिवार महान ।
क्या कहूँ दोस्तों इस कविता के बारे में , ये वीर रस है या हास्य रस ?
बस यूँ समझ लीजये ये हमारे जीवन की कशमकश है ।
कब तक यूँ ही सोते रहेंगे ?
कब तक देश के इन लुटेरों को वोट देते रहेंगे ।
बदलाव लाना है तो लाओ कमल ॥
रखो अपनी भावना अटल ।
हिन्दू , मुस्लिम , सिख और इस्याई
मिलकर रहेंगे हम सब भाई ।
अबकि बार ना बहकेंगे , अबकि बार ना बर्गालायेंगे ।
अबकि बार बस लायेंगे कमल ताकि करे वो जनता के पैगाम को अमल ।
जनता का पैगाम है विकास और हम उखाड़ फेकेंगे उसको जो करेगा हमको निराश ।
अबकि बारी दो कमल को बारी ।
ताकि देश की बदले राह , फिर से हो भारत माँ की वाह वाह ॥
मिल के देश चलाएंगे और अन्धकार मे डूबे इस देश को उम्मीदों की रौशनी से जगमगायेंगे ॥।
जय हिन्द ॥
सौरभ सिन्हा
As a first timer...I appreciate this attempt of yours :)
ReplyDeleteThanks :)
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