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Wednesday, April 24, 2013

देश की बदलें राह


देश ने नई राह पकड़ी है  लाचारी और दुर्दशा में भारत माँ जकड़ी है  
पहेले हमसे रोटी छीनी , फ़िर जीवन का सुख और चैन 
बहेनो की इज्ज़त लुटी और नवजातों पे हुआ आघात  
दुश्मन देशों ने डेरा है डाला और आतंकियों ने छोड़े गोले  
हर तरफ जलजला ही जलजला है पर मनमोहन मुहँ मे दही जमाए खड़ा है  
विदशी महिला बोले हाँ तो हाँ बोले ना तो ना  
क़िस मिट्टी का ये बंदा बना है ????

द्रौपदी के समान भारत माँ ध्रितराष्ट्र के सामने खड़ी है  
पर सरकार मदद कैसे करे वो secular और communal के द्वंद में पड़ी है  
जनतंत्र के हर स्तम्भ को हिला डाला है  
JPC ,CVC या CBI सबको सरकार का पालतु बना डाला है  
 

घोटालों में डूबा ये देश और नाम रखा है इंदिरा प्रदेश 
अर्थशास्त्री ने जुगत लड़ाई , देश की इसने band बजाई । 
हर बात मे मासुम है ये , ना बोले है ना सुने है ये । 
देश को मूर्ख बना डाला है और अब तीसरी पारी में फ़िर से आने का इसका ख़याला हैं । 
 

बदलाव के नाम पे ये राजकुमार लाए हैं  
पहेले पर दादा , दादी , पापा , मम्मी और अब मुन्ना ने हमको चुग्गा डाला है  
फिर से लाओ , फिर से लाओ , सौ ढेड सौ साल और खिलाओ  
इतना लूटो की अंग्रेज़ भी शर्म शार हो जाएँ  
जनता को करो confuse , मीडिया में डालो fake न्यूज़  
कैसे भी कर के आना है , अभी तो इस देश का और band बजाना है  
तब तक लूटेंगे जब तक जनता सोयेगी ..अपने दिये हुए उस एक वोट के लिए दशकों तक रोएगी  
हर पीढ़ी से लेंगे लगान तभी तो हम बनेंगे परिवार महान  
 

क्या कहूँ दोस्तों इस कविता के बारे में , ये वीर रस है या हास्य रस ?
बस यूँ समझ लीजये ये हमारे जीवन की कशमकश है  
कब तक यूँ ही सोते रहेंगे ?
कब तक देश के  इन लुटेरों को वोट देते रहेंगे  
बदलाव लाना है तो लाओ कमल  
रखो अपनी भावना अटल  

 
हिन्दू , मुस्लिम , सिख और इस्याई 
मिलकर रहेंगे हम सब भाई  
अबकि बार ना बहकेंगे , अबकि बार ना बर्गालायेंगे
अबकि बार बस लायेंगे कमल ताकि करे वो जनता के पैगाम को अमल  
जनता का पैगाम है विकास और हम उखाड़ फेकेंगे उसको जो करेगा हमको निराश  

 
अबकि बारी दो कमल को बारी  
ताकि देश की बदले राह , फिर से हो भारत माँ की वाह वाह  
मिल के देश चलाएंगे और अन्धकार मे डूबे इस देश को उम्मीदों की रौशनी से जगमगायेंगे ॥। 

 
जय हिन्द  
सौरभ सिन्हा 

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